दिल और दिमाग

दिल और दिमाग :-


कल एक बात पर दिल ओर दिमाग़ मे जंग होने लगी.
हारने को कोई भी तैयार ना था.
जीत तो एक की होनी थी.
पर हारने को कोई भी तैयार ना था.
वो दोनो बहस करते जा रहे थे ओर मेरा सर दर्द से फटा जा रहा था |

चलो आप लोगो को भी उनकी बहस सुनता हूँ 
आपके भी सिर मे दर्द हो जाए तो मुझसे शिकायत मत करना.
कहते हैं  ना लड़ाई के सिर पैर नही होते मुझे भी ये कल पता चला.

दिल कल बहुत खुश था बार बार प्यार प्यार किए जा रहा था.
दिमाग़ उसे सुन सुन के पक गया था आख़िरकार  काफ़ी देर तक बर्दास्त  करता जा जब बर्दास्त ना हुई तो कहने लगा.
"ये प्यार क्या होता ह"
"प्यार तो एक अहसास का नाम हैं |
प्यार तो एक खुमार हैं |
प्यार हैं  तो दुनिया हैं  प्यार नहीं  हैं  तो कुछ भी नहीं  हैं ." 

दिल जैसे किसी खुमार मे था कहता चला गया

" मेने तुम्हे ये घटिया शायरी सुनाने को नहीं  कहा , सुबह से तेरी बक बक सुने जा रहा  हूँ ," दिमाग़ थोड़ी देर चुप हुआ फिर कहने लगा.

" बीवी के प्यार मे बेटा माँ को घर से बाहर निकाल देता हैं . महबूबा पैसे के लिए घर छोड़ कर चली जाती हैं |
दोस्त काम  निकालने के लिए प्यार करते हैं ." दिमाग़ की बातो से लग रहा था की मुझे  प्यार से नफ़रत हैं |

दिल उसकी बात सुनकर मुस्कुराया ओर बोला ..." प्यार कुर्बानी देना जानता हैं .
जो तुमने बताया उसमे से कोई एक भी प्यार नहीं होता.."

"तो सरकार प्यार वो होता हैं  क्या जो फिल्मो मे दिखाया जाता हैं ... जिनको देखकर आज के बच्चे वक्त से पहले ही बड़े होते जा रहे हैं |
जिसकी वजह से माँ-बाप, भाई-बहन का प्यार छोटा लगता हैं |"

दिमाग़ कुछ और  कहने वाला था की दिल बीच मे ही कह उठा " देखा तुमने भी मान लिया की प्यार होता हैं " दिल को लगा की दिमाग़ हार मान रहा हैं  इसलिए बहूत खुश हो रहा था की दिमाग़ के जवाब ने उसे हिला के रख दिया.

" मेने ये कब कहा  हैं  की प्यार नहीं  होता. मैं तो ये कह रहा था की आज कल प्यार कहा हैं "

"इन हवाओ  को को गौर से देखो तुम्हे प्यार महसूस होगा. आसमान पर इंद्रधनुष को देखो प्यार तुम्हे अपने सिर पे मालूम होगा. चाँद की चाँदनी मे जाओ प्यार तुम्हे फूलों के गालो पे मालूम होगा...."

"तुम्हारे अंदर अक्ल वक्ल  नाम की भी कोई चीज़ हैं  भी या नहीं  सुबह से सायरी की किए जा रहे हो.
मुझे सायरी से नफ़रत हैं  .
मुझे दिन में देखे जाने वाले खवाबो से नफ़रत हैं  
में  तुम्हारी ये बकवास सुनने को तैयार नहीं  हू" दिमाग़ गुस्से मे आया तो बोलता ही चला गया.

"ओह सॉरी मुझे याद नहीं रहा था  की मैं किससे बात कर रहा  हूँ " दिल को भी अपनी ग़लती का अहसास हो गया था की  वो तो दिमाग़ से बात कर रहा था जिसे हर चीज़ होती हुई दिखनी चाहिए कल्पना करने के नाम से उसे चिढ़ थी |

" आज वो माँ बाप जो अपनी लड़की को पाल-पौष कर 18 -20 साल की करते हैं.
पता चलता हैं  किसी लड़के के साथ घर से भाग गयी.
एक तो इंडिया मे लोग लड़कियों को पसंद नहीं करते फिर भी ये ऐसे कदम उठा लेती हैं |
जिससे बाप पूरी उमर किसी से सर उठाकर बात नहीं कर पाता हैं .
काश घर से भागने से पहले माँ को देख ले जो ये गम कैसे बर्दस्त  कर पाएगी | बाप के बारे सोच ले जिसकी इज़्ज़त का दामन तार तार हो जाएगा. अपनी छोटी बहन के बारे मे सोच ले जिसके करैक्टर  पर  शक किया जाएगा.
अपने भाई को देख ले जिसको मज़ाक का निशाना बनाया जाएगा." दिमाग़ शायद बहुत दुखी था तब ही इतनी  गहरी बाते कर रहा था पर दिल भी कहा हार मानने वाला था उसने कहा 
"प्यार ओर जंग मे सब जायज  होता हैं  मेरे दोस्त"

दिल के ये बात सुनके तो जैसे दिमाग़ मे आग लग गयी "इन फिल्मी बातो पर  कोई कैसे यकीन करे |
पर बदक़िस्मती ये हैं की इन पे यकीन किया जाता हैं |
लोग अपना जमीर बेच देते हैं  ओर कहते हैं  सब जायज  हैं |
तुम बताओ उस भाई पे क्या बीतती होगी जो अपने बड़े  भाई से उम्मीदे लगाए बैठा हो की उसके बड़ा भाई  उसे बढ़ाएगा |
और बड़ा  भाई शराब के नशे मे अपनी महबूबा की गोद मे लेटा अपने घर वालो को भूल जाने की कसम खा रहा  होता "

दोस्तों यह कहानी थी मेरी दिल और दिमाग पर |
आपको यह कहानी कैसी लगी और आपको दिल और दिमाग के बारे में क्या कहना हैं ? मुझे नीचे कमेंट करके बताये | धन्यवाद् |


अगर आपको यह कहानी अच्छी लगी तो शेयर करो ताकि में आपके लिए और ऐसी कहानिया लेकर आता रहू । 

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